Saturday, July 23, 2011

तब वे चुप हुए !

मैं
चुप हुई
बोले - घुन्नी है!

बोली
बोले - जुबान कतरनी है

सीधी चली
बोले - बनती है

टेढ़ी चली
बोले - प्यादल है

रुकी
बोले - हार गई

झुकी
बोले - रीढ़ नहीं है

बैठी
बोले - हिम्मत टूट गयी

उठी
बोले - घमंडी है

मैं मरी
वे तब चुप हुए !


 पद्मजा शर्मा

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