मैं
चुप हुई
बोले - घुन्नी है!
बोली
बोले - जुबान कतरनी है
सीधी चली
बोले - बनती है
टेढ़ी चली
बोले - प्यादल है
रुकी
बोले - हार गई
झुकी
बोले - रीढ़ नहीं है
बैठी
बोले - हिम्मत टूट गयी
उठी
बोले - घमंडी है
मैं मरी
वे तब चुप हुए !
पद्मजा शर्मा
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